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टॉप १० दर्द निवारक

टॉप१०दर्द निवारक औषधि  टॉप 10 एनाल्जेसिक। -  (१)डाइक्लोफिनेक। - ५०ही१०० एम जी ।एसक्लोफेनक इसका और शुद्ध रूप है।मांसपेशियों और जोड़ों में सुजान और दर्द तथा बुखार को दूर करता है।यह निमसूलाइड और ब्रूफेन से अच्छी औषधि मानी गई है।डी पी जेसिक के नाम से कॉम्बिनेशन आता है। पशु में इसके प्रयोग से गिद्धों पर बुरा असर डालती है। (२) पेरासिटामोल  -  एक सुरक्षित दर्द और बुखार निवारक औषधि है।यह एसेटामिनाफेन ही है। (३) इबूप्रोफेन  - यह बुखार और पेशीय और जोड़ों के दर्द तथा दांत दर्द आदि में फायदा करती है डाइक्लोफिनेक ,निम्सुलाइड, ibuprofen,एस्प्रिन  आदि दवाई, डेंगू और कोरोना में प्रतिबंध की,क्योंकि यह प्लेटलेट्स कम करते हैं ।पेरासिटामोल ही निर  अपवाद दवाई है, जो ऐसी स्थिति में लेना सुरक्षित है। (४) डिस्प्रिन  - यह एस्प्रिन ही है,जो रक्त को पतला करती है तथा हृदय आघात को रोकते हैं ।आधा सीसी सर दर्द, दांत दर्द,नसों में दर्द,मासिक धर्म का दर्द आदि में फायदा करती है। (५)  piroxicam 20 -  इसकी suganril tab आती है जो मासपेशीयो और जोड़ों की जकड़न,दर्द, सूजन, मास...

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 In the education curriculum, before Intermediate, to preserve our culture, medical first aid and in short Veda study should be made mandatory.

टॉप १० एंटीबायोटिक्स

 टॉप 10 एंटीबायोटिक।  -   नंबर 1  एमोक्सीसिलिन  (पेनिसिलिन ग्रुप - अमोक्सेसिलिन ६२५ एम जी )दांत,निमोनिया, दिमागी सूजन, टाइफाइड बुखार, गला, कान, चर्म संक्रमण तथा रूमेटिक फीवर आदि में प्रयोग अर्थ। नंबर दो  -  एजीथ्रोमाइसीन (इरिथ्रोमाइसिन)निमोनिया,टाइफाइड, चर्म रोग ,मुहासे, मसूड़े के एब्सेस आदि संक्रमण। नंबर 3   - सिफिक्सिम 200 एमजी - टाइफाइड निमोनिया, मेनिनजाइटिस, मूत्र संस्थान रोग।यह  ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक है ।नंबर ४ -  एमिकासिन (जेंटामाइसिन, मिकासिनआदि )तीव्र संक्रमण ग्राम नेगेटिव ,पेट, मूत्र संस्थान, सेप्टिक आदि में प्रयोग अर्थ। नंबर पांच  -  डॉक्सीसाइक्लिन (टेरामिसिनआदि) तीव्र मुहासे, खांसी जुकाम,कुछ जननांग संक्रमण, हैजा, प्लेग, में भी प्रयोग अर्थ ।लंबे समय तक काम करता है। दिन में एक खुराक भी काफी है। नंबर 6  -  सिप्रोफ्लाक्सासिन (लेवोफ्लोक्सासी ,मॉक्सिफ्लॉक्स)टायफाइड, आंत संक्रमण ,सुजाक और जॉइंट्स सेप्टिक , लंबे समय देने पर साइड इफेक्ट बनते हैं। नंबर 7  - ओफ्लाक्सासिन २००एम जी  -  टा...

वायरल संक्रमण -टॉप तीन दवाई

 वायरस की टॉप तीन दवाई   -  वायरस संक्रमण  -   वायरस संक्रमण की कोई एंटीवायरस दवाई, वायरस से छुटकारा नहीं दिला सकती, यह वाइरस को निष्क्रिय बना सकती है। केवल लाक्षणिक चिकित्सा ही की जाती है।कुछ आयुर्वेदिक दवाइयां का भी सहारा लेना चाहिए। संक्रमित शरीर स्वयं,रक्त की लिंफोसाइट और श्वेतकणिकाओं द्वारा, इंटरफेरॉन हार्मोन उत्पन्न कर, वायरस को मारता है।                           वायरस की टॉप तीन दवाई -   ( १) Aciclovit tab & ointments  - अथवा पेंसिक्लोविर का प्रयोग हर्पीज जोस्टर ,हर्पीज सिंपलेक्सऔर चिकनपाक्स वायरस में किया जाता है।                                (२) peramivin tab. इंफ्लूंजा,फ्लू आदि में दे।tamu flu भी यही कार्य करती है।      (३) Adenovirus - Hepatitis B में पर्योगार्थ।यह रोग अगर छ महा में हट गया तो ठीक अन्यथा जीवन भर रहता है।          ...

फंगस संक्रमण का सटीक इलाज

 फंगस इंफेक्शन की सटीक चिकित्सा  -  फंगल इंफेक्शन की पांच टॉप औषधि। फंगस की दवाई के साथ कोर्टिको स्ट्रायड बेटनेसोल आदि का प्रयोग कभी न करें । विटामिन ए और b12 का प्रयोग उपयोगी होता है। नंबर एक - किटाकोनाजोले पहले नंबर की दवाई है।शैंपू, साबुन,लोशन और मुंह से गोली भी ली जा सकती है। यह योनि,जीभ, त्वचा पर दाद,चकते, डैंड्रफ,रेसेस आदि होना। पेट डिस्टर्ब होना आदि में प्रयोग की जाती है। 200 एमजी रोज एक हफ्ते से 6 माह तक रोग अनुसार ले सकते हैं ।नंबर दो - टरबीना फैन  नाखून में फंगस संक्रमण के लिए बारह  हफ्ते तक ले।दाद,चर्म रोग में दो से 6 हफ्ते तक रोग अनुसार ले सकते हैं।नंबर ३ -  Itraconazole tab.  200 एमजी। शुरू में 3 दिन सुबह शाम और फिर 200 एमजी रोज सभी फंगस रोग त्वचा,मुंह,गला,योनि, नाखून, फेफड़ा मैं उपयोगी है।नंबर ४ - फ्लूकोनाजोले चर्म रोग,नाखून मुंह,योनि फंगस संक्रमण में उपयोगी।आंखों की दवाई के रूप में भीआती है।डेढ़ सौ एमजी हफ्ते में एक बार भी लेना उपयोगी है। वैसे दिन में 150 एमजी एक बार तीन दिन तक भी ले सकते हैं।हार्ट,लीवर,गुर्दे के रोगी में सावधानी बरते।...

रक्त में पेलेटलेट्स

 प्लेटलेट्स  -    प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा यानि बोन मैरो में बनता है। हर रोज बोन मैरो लाखों प्लेटलेट्स बनाता है, जिनका जीवन 10 दिन ही माना गया है ।प्रति माइक्रो लीटर डेढ़ से 4.5 लाख प्लेटलेट्स स्वस्थ आदमी में होनी चाहिए। 40000 तक प्लेटलेट्स कम होने में कोई खतरा नहीं है, लेकिन हां 20000 से कम का लेवल खतरनाक हो सकता है। यह रक्त का ही एक कण है । कारण। -  वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण रोग, मलेरिया, एनीमिया, डेंगू बुखार, गठिया रोग, हेपेटाइटिस, कैंसर, इम्यूनो थ्रांबोसाइटोपेनिया । लक्षण  -  मल मूत्र मसूड़ों उल्टी आदि में खून आना। शरीर में थकावट, सांस में दिक्कत,बुखार,त्वचा पर नीले भूरे लाल रंग के धब्बे। चिकित्सा    - प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए - पपीता फल या पत्ते,आवंला, गिलोय,अनार,पालक, चुकंदर दूध ,पौष्टिक ,आयरन युक्त भोजन । आयुर्वेदिक औषधि  - जैसे jayrex pletx plus tab. Platnza tab or syp.(Himaya co.)कॉर्टिकोस्टेरॉइड जैसे प्रेड़नीस लोन, डेक्सामेथासोन, विटामिन बी12, सी,के आदि का प्रयोग करें। Inj. augplate ,पलेटलेट्स बढ़ाने के लिए दे।पानी खूब पीएं,निय...

सनातन धर्म

सनातन धर्म  या हिंदू धर्म  सनातन धर्म या सनातन संस्कार   -  सदा से चला आ रहा विशुद्ध ज्ञान है । 460 करोड़ साल पहले  धरती के अस्तित्व मेंआने के बाद,आज से सवा सौ करोड़ साल पहले,धरती पर एक कोशीय जीव का जन्म हुआ और सवा लाख साल पहले जर्मन के लिएंडर थल नामक एक स्थान से, पहला मानव कंकाल मिला जो दो पैरों पर चलता था। समय बिता गया,आज से 50000 साल पहले मानव ने भाषाई बोलचाल की और कुत्ता वह घोड़ा पाला।लगभग 10000 - 11000 साल पहले परमात्मा के दिए दिव्य ज्ञान से महर्षि ब्रह्मा के उपदेश का संकलन कर अग्नि वायु आदित्य को अंगिरा ऋषियों ने वेदों की रचना की । त्रेता में श्री राम व द्वापर में श्री कृष्ण जी ने वेदों का पठन-पाठन कर,महा मानव की उपाधि प्राप्त की ।और जो एक है,नित्य है अव्यक्त है और ज्ञानी है सिर्फ उसे ही परमात्मा यानि भगवान माना और आज हम उन्हीं का अनुसरण कर सामाजिक व्यवस्था बनाए हुए हैं ।सनातन वैदिक धर्म से भी पुराना है, उपरोक्त का वाख्यान करना ही सनातन धर्म है ,लेकिन कुछ अज्ञानी निज स्वार्थी ,पाखंडियों ने सनातन और वेद की कठिनभाषा का सही अर्थ न समझ कर ,उनका अर्थ गलत न...