कार्डियक अरेस्ट
कार्डियक अरेस्ट - लक्षण - कार्डियक अरेस्ट यानी हृदय अवरोध,यानी दिल और फेफड़ों का एकदम बंद हो जाना। इसमें दिल,छाती,पेट या हाथ पैर में कोई दर्द नहीं होता। न पसीना आता और न उल्टी लगती, बस एकदम दिल व फेफड़े बंद हो जाते हैं । इसमें दिल या दिल की रक्त वाहिनियों या दिल की वाल्व में कोई विकृति नही होती और न इसका ब्लड प्रेशर से संबंध, यह तो दिमागी विद्युत तरंग की बीमारी है। कारण - अत्यधिक एनेस्थीसिया,शल्य कर्म, गर्दन में चोट, रिफाइंड तेल का प्रयोग,इसका कारण बन सकता है। नंबर २ - औषधि रिएक्शन और विद्युत शोक भी कारण हो सकते हैं । नंबर ३ - उच्च तीव्रता वाली ध्वनि,डी.जे.आदि, इसका मुख्य कारण है। नंबर ४ - अत्यधिक तनाव,अधिक खुशी या गम अथवा भय आदि भावनात्मक प्रक्रिया भी इसको जन्म देती है।नंबर ५ - उपरोक्त कारणों या मस्तिष्क की विकृति के कारण मेडुला आबलेंगेटा निष्क्रिय होने से, दिल,फेफड़े,आंत्र आदि में स्वतः होने वाली क्रिया, तुरंत बंद हो जाती हैं। चिकित्सा - नंबर 1 - तुरंत उसी क्षण, रोगी को सी.पी.आर. यानी सीधा चित लिटा कर दोनों हाथ की हथेलियों से छाती पर,1 मिनट में 80 से 100 बार के औसत से, 5 मिनट तक, छाती को दबाए और छोड़े।नंबर २ - सिर और गर्दन की मालिश करें। नंबर ३ - उसे कृत्रिम श्वास(मुंह से मुंह मिलकर) फेफड़ों में हवा भरे। नंबर ४ - तुरंत,लाल मिर्च या काली मिर्च की डस्ट,उंगली से,आंख में लगाए। बचाव - नियमित समय पर आहार-विहार और व्यायाम करें।रोग के कारणों से दूर रहे। 3 -४ मिनट बाद कोई चिकित्सा कारगर नहीं है।
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