अंतेष्टि संस्कार

 16  - अंत्येष्टि संस्कार यानी दाह संस्कार   -                            यह कर्म मनुष्य जीवन के अंतिम संस्कार के रूप में किया जाता है।मरणासन्न व्यक्ति को सांत्वना देते हुए, गीता उपदेश सुनाएं, तथा कुछ दान,अन्न आदि, मरणासन्न व्यक्ति के हाथों से करा दें और पृथ्वी को साफ कर गोबर से लीप, कंबल आदि बिछाकर दक्षिण दिशा को कर मिटा दें,जब प्राण छोड़ने लगे तो,सिर उत्तर व पैर दक्षिण को करें।मृतक के आंख कान नाक में घृत डाल दे। फिर स्नान कराकर शुद्ध कपड़े, जो ससुराल से आए पहले उन्हें पहनाये। 24 या 6 पिंड,जौ आटे में, तिल गुड़ शक्कर मिलाकर बनाए।शव के इधर-उधर या छाती पर रखें। विश्राम स्थान तक मृतक का सिर पीछे, वहां से अर्थी घुमा कर सिर आगे और पैर पीछे कर देते हैं। श्मशान में चिता के लिए भूमि साफ कर गंगाजल छिड़के। चिता पर सभी कपड़े उतार कर एक कपड़ा रखें। चिता पर मृतक को सिर दक्षिण व पैर उत्तर को करें।चार समिधाएं चिता के चारो और वेदी के प्रतीक रूप में रखी जाती हैं। जली अस्थियां को दूध से धोकर तीसरे दिन गंगा में प्रवाहित करें।

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