वाजीकरण क्या है

 वाजीकरण क्या है. -                                           महाफलवती रसायन तंत्र के पश्चात,दूसरा महत्व का तंत्र, यह आयुर्वेद के 8 प्रधान अंगों में से एक वाजीकरण तंत्र है। वाजी का अर्थ है शुक्रवान,दूसरा अर्थ घोड़ा तथा तीसरा अर्थ है पुरुष तत्व। तथा करण का एक ही अर्थ करना या बनाना है। अर्थात वाजीकरण का अर्थ है - पौरुष बल और शारीरिक बल को बढ़ाना। कामी अल्प शुक्र वाले, दुर्बल व्यक्तियों को नित्य वाजीकरण का प्रयोग करना चाहिए। स्त्रियों में पुरुषों की अपेक्षा 8 गुनी रति की शक्ति होती है।सामान्य वाजीकरण द्रव्य जैसे- नवयौवन रूपवती स्त्री, सुंदर वातावरण, विदारीकंद, मैदा महामेधा, शतावर, असगंध,केवांच, गोखरू, मधुएष्टि, पिपली,पका आम, खजूर, सिंघाड़ा, दूध , मलाई,घी, सफेद मूसली, सालम पंजा, शिलाजीत ताम्र,लौह,स्वर्ण,अभ्र्क,वंग भस्म। केसर,जीरा,इलायची आदि। वाजीकरण योग  - अपत्य कर स्वरस-सिद्धि योग है,पुत्रप्रदत,वृद्धा अवस्था को युवा अवस्था जैसा महसूस होना।मदनानंद मोदक -श्रेष्ठ वृष्य एवं बाजी का योग है।मन्मथाभर रस - ध्वज भंग को दूर करता है उत्तम बाजी कर। मृत संजीवनी सुरा -धातु वर्धक, पुष्टि कर, अग्नि वर्धक,वायु शमन एवं परम वाजीकर्ण।कामदेव घृत -उत्तम पौष्टिक तथा वाजीकरण, नपुंसकता में भी प्रयोग अर्थ। कामिनी विद्रावण रस -उत्तम वीर्य स्तंभन,अफीम का योग है।शिलाजत्वदी बटी, वसंत कुसुमाकर रस,भल्लातक तेल (जननेन्द्रि पर मालिश के लिए) आदि का भी प्रयोग करे।। एलोपैथी में इस वाजीकरण के उत्तराधिकारी के रूप में टेस्टोस्टेरोन टेबलेट, मैनफोर्स टेबलेट,मेस्टिलोन टेबलेट,इंजेक्शन टेस्टोविरो, इंजेक्शन परिगनॉर्म - यौवनावस्था में देरी, शुक्राणु का कम या न बनना या मरा होना या कमजोर होना, अंडों का अंडकोष में न लटकना आदि में प्रयोग करे।

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