संस्कार किसे कहते

 16 संस्कार    -                        संस्कार   -  संस्कार से बल प्रतिष्ठा और शोभा बढ़ती है।संस्कृत व्यक्ति का व्यक्तित्व गुणवान व तेजस्वी होता है।जन्म और मृत्यु के पड़ाव तक, प्रायः 16 बार ऐसे समय आते हैं जब शरीर को समय अनुसार श्रेष्ठ और सबल बनाने के लिए, कुछ कर्म किए जाते हैं। उस समय के इन कर्मों को संस्कार कहते हैं।व्यास स्मृति के प्रथम अध्याय में, गर्भाधान से लेकर अंत्येष्टि तक के सोलह संस्कार का वर्णन विस्तार से हुआ है। 1 - गर्भाधान संस्कार। श्रेष्ठ गर्भाधान के लिए 18 वर्ष की आयु की स्त्री व 25 वर्ष की आयु के पुरुष, सांय काल, शुभ नक्षत्र आदि में, ऋतु के बाद,ग्यारहवे से सत्रहवें दिन में, संस्कृत हो, संभोग करें। 2 - पुंसवन संस्कार      -                          पुत्र ही हो,इसके लिए जो संस्कार किया जाता है, उसे पुंसवन संस्कार कहते हैं।गर्भधारण के 60 दिन के अंदर,विशेषकर 42 दिन से पहले पहले, मोर पंख, वट शङ्गु या केसर से पुंसवन संस्कार करें।

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