पुनर्जन्म क्या है

 पुनर्जन्म क्या है. -                शुक्र - शोणित(ova) के सयोंग के समय, सूक्ष्म शरीर में क्रियाशील मन के कारण,आत्मा युक्त सूक्ष्म शरीर,गर्भ में प्रवेश कर, गर्भ धारण कराता है।बिना सूक्ष्म शरीर के, शुक्र-शोणित से गर्भाधान संभव नहीं है। मानव का सूक्ष्म शरीर यानि मानव बीज या जीवात्मा, मानव के ही गर्भ में,ऊंच-नीच योनि (गर्भाशय) में गर्भाधान कराता है,अन्य में नहीं। मृत्यु के बाद मानव का मानव की योनि से ही जन्म होता है।।महा ऋषि भारद्वाज।। 8400000 योनि में भृमण का अर्थ है, 84 लाख बार, योनि से, अपने कर्म फल अनुसार मानव जन्म लेना। श्री कृष्ण जी ने भी, गीता में उपदेश दिया कि मनुष्य मृत्यु के बाद नया मानव जीवन प्राप्त करता है।। किसी भी विषय की सत्यता को जानने के लिए 4 प्रमाण पर खरा होना होता है। 1  - आप्तोपदेश - (ऋषि-महाऋषियों का कथन)  यानी पुनर्जन्म का उल्लेख वेदों में होना। 2 - प्रत्यक्ष प्रमाण -  पैदा होते ही, बिना शिक्षा दिए, बच्चे का रोना-  हंसना,डरना, भूख प्यास में चुचुक ही ढूंढना,बुद्धि में विषमता होना व पूर्व जन्म की बातें करना आदि। 3 -अनुमान -  शुभ-अशुभ कर्म अनुसार, ऊंच नीच योनि में जन्म  लेकर, सुख दुख भोगना। नवजात का कभी हंसना कभी रोना,चेहरे की अलग-अलग भाव भंगिमा बनाना, कुछ पूर्व जन्म की याद दिलाता है। 4 - युक्ति प्रमाण -  मानव कुछ सोचने को विवश होता है और मन बुद्धि से तर्क वितर्क करता है कि ऐसा हो सकता है या नहीं। उपरोक्त तीनों प्रमाणों पर विचार कर अपनी बुद्धिमत्ता से निर्णय लेने पर विवश हो जाता है कि दूसरा जन्म अवश्य होता है। हर जीव, अपनी आयु के बाद, मृत्यु को प्राप्त कर, अपनी-अपनी योनि में,नया जीवन शुरु करता है।बचपन के आरंभ में बच्चा, सद्गुणी होता है ।अतः वह पूर्व जन्म की बातें बता सकता है। 5 वर्ष की आयु के बाद वह रज (जीवन की भाग दौड़) और तम (मोह-माया) से घिर जाता है और पूर्व जन्म के सभी यादगार की भूलभुलैया हो जाती है।। चरक संहिता।।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वायरल संक्रमण -टॉप तीन दवाई

आयु क्या है

फंगस संक्रमण का सटीक इलाज