रोग क्या है,क्यों होते है

 रोग क्या है और क्यों होते हैं। -   शरीर में वात पित्त कफ की अ साम्य अवस्था ही रोग है और साम्यावस्था निरोग। मन में रोग की शंका भी रोग का कारण बन सकती है। प्राय सभी रोगों का निर्धारण, गर्भ में ही तय हो जाता है।गर्भ में माँ के शरीर से जो तत्व,गर्भ को कम मिलता है, उसी तत्व से बनने वाले गर्भ के अंग कमजोर रह जाते हैं जैसे कैल्शियम की कमी से हड्डी, चटपटे खाद्य पदार्थ की कमी से आंखों की रोशनी आदि अविकसित रह जाते हैं। जन्म के बाद उस कमी के औसत से ही भविष्य में वह अंग रोग ग्रस्त हो पूर्ण आयु से पहले ही मौत का कारण बन सकते हैं। मानसिक और शारीरिक दुर्बलता व संक्रमण आदि का कारण वही गर्भ की अपुष्टता बनती है। जैसे किसी भवन निर्माण में लोहा, सीमेंट, कंक्रीट आदि की कमी, उस मकान की आयु घटा देती है और अकाल में ही वह ढह जाता है, वैसे ही वह जीव भी अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है।अतः अगर रोगों से छुटकारा पाना है तो गर्भ  की इच्छा, जो मां की इच्छा से ही हमें ज्ञात होती है, उसकी पूर्ति बेहद आवश्यक है। अगर बच्चा किसी भी रोग से अल्पायु में मरणासन्न है तो उसकी मां से पूछा जाए,कि जिस समय यह बच्चा आपके गर्भ में था ,उस समय कौन सा विशेष खाद्य पदार्थ था, जिसकी आपको एक विशेष जरूरत थी, लेकिन मिल नहीं सका।चिकित्सा के समय वह खाद्य पदार्थ भी खिलाना या चटाना शुरू कर दे। जैसे मकान क्षतिग्रस्त होने की आशंका में हम उस राजमिस्त्री से पूछते हैं, कि भाई कहां कमी रही,जो आज अल्पायु में ही यह बीमार यानी गिरने जा रहा है। रोग के और सब कारण तो गौण हैं।। वंशानुगत रोग क्यों आते हैं। क्योंकि उस वंश में वह अंग,  जो पीढ़ी दर पीढ़ी कमजोर रह जाते हैं, उन्ही अंगों संबंधी रोग होते हैं। और उस वंश में अगर खानपान गर्भ या बाद में, उस अंग को सबल बनाने का रह चुका हो, तो उसे यह अनुवांशिक रोग नहीं होता।पौष्टिक आहार विहार से शरीर हष्ट पुष्ट और निरोग रहता है। व्यायाम शरीर को दृढ़ बनाता है,और रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी बढ़ाता है।

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